शांतनु नायडू, रतन टाटा के बेहद करीबी और विश्वसनीय सहयोगी माने जाते हैं, और उनके साथ काम करने वाले युवा उद्यमियों में से एक हैं। हालांकि रतन टाटा ने औपचारिक रूप से शांतनु नायडू को अपने वारिस घोषित नहीं किया है, लेकिन उनके बीच करीबी पेशेवर संबंध और व्यक्तिगत जुड़ाव को लेकर कई अटकलें लगाई जाती हैं।
शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के करीबी सहयोगियों में से एक हैं, अब टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा जनरल मैनेजर बन चुके हैं। उन्होंने 2022 में रतन टाटा के साथ काम करना शुरू किया था
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कौन हैं शांतनु नायडू? (Who is Shantanu Naidu and His relation with Ratan Tata)
शांतनु नायडू एक युवा उद्यमी, इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री हासिल की है और वह Tata Group में कार्यरत हैं। साथ ही, वे रतन टाटा के ऑफिस में उनके बिजनेस असिस्टेंट के तौर पर भी काम कर रहे हैं।
शांतनु नायडू की उम्र 28 वर्ष है और उनका टाटा परिवार से कोई सीधा नाता नहीं है1. वह रतन टाटा की निजी निवेश कंपनी आरएनटी में महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं, जहां रतन टाटा उन्हें अपने बेटे की तरह मानते थे !
शांतनु नायडू की उपलब्धियां:
- मोटोपॉज़ प्रोजेक्ट: शांतनु ने “मोटोपॉज़” (MotoPaws) नामक एक पहल की शुरुआत की थी, जो सड़क पर रहने वाले कुत्तों की सुरक्षा के लिए है। यह प्रोजेक्ट सड़क के कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर (प्रतिबिंबित कॉलर) बनाने पर आधारित है, ताकि वे रात में वाहन चालकों द्वारा आसानी से देखे जा सकें और दुर्घटनाओं से बच सकें। इस कार्य से प्रभावित होकर रतन टाटा ने खुद उनसे संपर्क किया और उन्हें अपनी टीम में शामिल किया।
- Tata Group में भूमिका: शांतनु नायडू टाटा ग्रुप के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में उभरे हैं। उन्होंने रतन टाटा के व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्यों में सलाहकार की भूमिका निभाई है और उनके साथ घनिष्ठ संबंध बनाए हैं।
- सोशल मीडिया उपस्थिति: शांतनु का सोशल मीडिया पर भी प्रभावशाली उपस्थिति है, जहां वे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं, खासकर अपने गुरु रतन टाटा के साथ बिताए समय के बारे में साझा करते हैं।
रतन टाटा और शांतनु नायडू के संबंध:
रतन टाटा और शांतनु नायडू के बीच एक मजबूत गुरु-शिष्य का रिश्ता है। रतन टाटा ने न केवल उनके काम की सराहना की, बल्कि उन्हें अपने व्यक्तिगत सहायक के रूप में नियुक्त किया, जिससे साफ होता है कि वे शांतनु में भविष्य के नेतृत्व की क्षमता देखते हैं। हालांकि, रतन टाटा के औपचारिक वारिस के तौर पर उनकी कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन शांतनु के साथ उनके करीबी रिश्ते को देखकर यह समझा जा सकता है कि शांतनु का भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
शांतनु नायडू की विचारशीलता और सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी समर्पणशीलता ने उन्हें टाटा समूह और रतन टाटा दोनों के लिए एक अहम व्यक्तित्व बना दिया है।
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